गुरु नानक जयंती सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी की जयंती के रूप में मनाई जाती है। यह सिखों का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे बहुत श्रद्धा और धूमधाम से मनाया जाता है।
गुरु नानक जयंती के मुख्य पहलु :
- तिथि: गुरु नानक जयंती, कार्तिक माह की पूर्णिमा (पूर्णिमा की रात) को मनाई जाती है। इस तिथि के अनुसार हर साल यह तारीख बदलती रहती है, लेकिन यह आमतौर पर अक्टूबर या नवम्बर महीने में होती है।
- महत्त्व: गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 में नानकाना साहिब (जो अब पाकिस्तान में है) हुआ था। उन्होंने ईश्वर की एकता, मानवता की समानता, सामाजिक न्याय और ईमानदार जीवन जीने का पाठ सिखाया। उन्होंने जातिवाद, मूर्तिपूजा और आडंबरों का विरोध किया। उनके उपदेश गुरु ग्रंथ साहिब में संकलित हैं, जो सिख धर्म का प्रमुख ग्रंथ है।
- उत्सव:
- नागर कीर्तन: इस दिन, सिख समुदाय नगर में कीर्तन के साथ procession (जुलूस) निकालता है। इस दौरान लोग गुरु ग्रंथ साहिब से शबद (भजन) गाते हुए सड़क पर चलते हैं।
- गुरुद्वारा सेवा: गुरु नानक जयंती के दिन विशेष पूजा, अरदास और कीर्तन का आयोजन होता है। गुरु ग्रंथ साहिब का अखंड पाठ (24 घंटे तक निरंतर गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ) किया जाता है।
- लंगर: गुरु नानक देव जी के उपदेशों के अनुसार, लंगर (सामूहिक भोजन) सभी को निःशुल्क वितरित किया जाता है, बिना किसी भेदभाव के। यह सिख धर्म का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो समानता और सेवा की भावना को बढ़ावा देता है.
- कीर्तन और सत्संग: विभिन्न गुरुद्वारों में गुरु नानक देव जी और अन्य गुरुओं के भजन और कीर्तन का आयोजन किया जाता है, जहां श्रद्धालु मिलकर भक्ति में लीन होते हैं।
- गुरु नानक का संदेश:
- ईश्वर की एकता: गुरु नानक देव जी का सबसे बड़ा संदेश था कि ईश्वर एक है (इक ओंकार), जो निराकार, शाश्वत और सर्वव्यापी है।
- मानवता की समानता: गुरु नानक ने जातिवाद, धर्म या लिंग के आधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव करने का विरोध किया। उनका मानना था कि सभी मनुष्य एक जैसे हैं और सभी को समान सम्मान मिलना चाहिए।
- सेवा (सेवा) और परोपकार: गुरु नानक ने खुद को दूसरों की सेवा में समर्पित किया। उन्होंने जीवन में परोपकार और दूसरों की मदद करने को बेहद महत्वपूर्ण बताया।
- नम: सिमरन (Naam Simran): गुरु नानक देव जी ने हर समय ईश्वर का नाम जपने (नाम स्मरण) को बहुत महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति को अपने जीवन में सच्चे नाम का जाप करना चाहिए ताकि आत्मा को शांति मिले।
- मूलमंत्र: गुरु नानक देव जी का प्रसिद्ध “मूलमंत्र” है:“ओंकार सतिनाम करता पुरख निरभाऊ निरवैर अकाल मूर्ति अजुनी सैभं गुर प्रसादि।”इस मंत्र में उन्होंने ईश्वर के सर्वोत्तम गुणों का वर्णन किया और उनके निराकार रूप की महिमा को बताया।
- उपवियोग: गुरु नानक जयंती के दिन, सिख धर्म के अनुयायी धार्मिक उपदेश सुनते हैं, गुरुद्वारों में जाते हैं, कीर्तन करते हैं और गरीबों, जरूरतमंदों को मदद प्रदान करते हैं। अमृतसर में स्थित स्वर्ण मंदिर, जो सिखों का प्रमुख तीर्थ स्थल है, इस दिन विशेष रूप से आकर्षण का केंद्र होता है।
गुरु नानक जयंती, गुरु नानक देव जी के उपदेशों को जीवन में उतारने का अवसर है। यह दिन हमें उनके द्वारा दिए गए प्रेम, समानता, सत्य और सेवा के सिद्धांतों को याद करने और अपनाने का संदेश देता है।
गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन में भिन्न-भिन्न स्थानों का दौरा किया और अपनी शिक्षाओं से हर समुदाय को जागरूक किया। उनका जीवन आदर्श था, और आज भी उनके बताए मार्ग पर चलकर लोग शांति और सद्भाव की ओर अग्रसर होते हैं।
गुरु नानक देव जी का जीवन और उनके उपदेश सिख धर्म के आधार स्तंभ हैं। उन्होंने अपने जीवन में यात्रा कीं, जिन्हें उदासियाँ कहा जाता है, और हर जगह उन्होंने ईश्वर की एकता, मानवता और धर्मनिरपेक्षता का संदेश दिया। उनका प्रमुख उद्देश्य था समाज में भेदभाव मिटाना और सभी को एक-दूसरे के साथ प्रेम और सम्मान से रहने की शिक्षा देना।
गुरु नानक देव जी ने “मुक्ति” का मार्ग दिखाया, जो कि केवल भक्ति, साधना और समाज सेवा के द्वारा संभव था। उनके उपदेशों में ध्यान, सच्चाई, मेहनत और खुद को निस्वार्थ सेवा में समर्पित करना महत्वपूर्ण था। उनका “किरत करो, Naam japo, Vand Chakko” (सच बोलो, ईश्वर का नाम लो, और दूसरों के साथ अपना हिस्सा बांटो) सिद्धांत आज भी सिख समुदाय के लिए मार्गदर्शक है। उनका योगदान न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि उन्होंने सामाजिक बदलावों की दिशा भी तय की।
गुरु नानक देव जी के द्वारा दिए गए कई अद्भुत और प्रेरणादायक उद्धरण (quotes) हैं, जो आज भी लोगों को जीवन के सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख उद्धरण दिए जा रहे हैं:
1. “ਏਕ ਓਅੰਕਾਰ ਸਤਿਨਾਮ ਕਰਤਾ ਪੁਰਖ ਨਿਰਭਉ ਨਿਰਵੈਰ ਅਕਾਲ ਮੂर्ति ਅਜੂਨੀ ਸੈਭੰ ਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ।“
(Ik Onkar Satnam Kartapurakh Nirbhau Nirvair Akaal Moorat Ajuni Saibhangu Gur Prasad)
“ईश्वर एक है, उसका नाम सत्य है। वह सृष्टि का सर्जक है, वह निराकार है, वह न भयभीत है और न शत्रु है, वह काल के पार है, और वह स्वयं साक्षात है। वह गुरु की कृपा से जाना जाता है।“
2. “ਕਰਮੀ ਆਵੈ ਕਪੜਾ ਨਦਰੀ ਮੋਖਿ ਦੁਆਰ।“
(Karami Aave Kapda Nadri Mukh Dwaar)
“व्यक्ति के कर्म ही उसका भाग्य तय करते हैं, और उसी कर्म से उसे मोक्ष का द्वार मिलता है।“
3. “ਨਾਨਕ ਨਾਮ ਚੜ੍ਹਦੀ ਕਲਾ ਤੇਰੇ ਭਾਣੇ ਸਰਬਤ ਦਾ ਭਲਾ।“
(Nanak Naam Chardi Kala Tere Bhane Sarbat Da Bhala)
“नानक, प्रभु के नाम की शक्ति से आत्मा उच्च स्थिति में रहती है, और तेरी इच्छा में सबका भला होता है।“
4. “ਸਲੋਕੁ ਵਖਰੁ ਵੰਡੁ ਨਾ ਵੀਚਾਰੈ ਮਿਥਿਆ ਵਸੈ ਧਿਆਵੈ ਨ ਜਾਇ।“
(Salok Vakhra Vandu Na Vicharai Mithya Vasai Dhiavai Na Jai)
“व्यक्ति केवल आस्थाओं या शब्दों के आधार पर नहीं बल्कि सच्चाई के मार्ग पर चलकर ही अपना जीवन सही दिशा में ढाल सकता है।“
5. “ਹੇ ਮਨ ਮਾਏ ਤੇਰਾ ਜੁਗਤਿ ਲੁੱਟਿ ਲੈਣੀ।“
(He Man Mye Tera Jugat Lutt Lai)
“हे मन, इस संसार में तू सभी जुगाड़ लूट चुका है, अब तुझे ध्यान और भक्ति के द्वारा आत्मज्ञान प्राप्त करना चाहिए।“
6. “ਸਚੋ ਸਚੁ ਮਿਲਦਾ ਹੈ ਜੇ ਦਿਲ ਪੂਛੈ ਬੋਲੈ ਸਚਿ ਸੁਣੀਐ।“
(Sachu Sach Milada Hai Je Dil Puchhe Bolai Sach Suniai)
“सच्चाई केवल दिल से ही प्राप्त की जा सकती है, और सच्चे शब्दों को सुनने से ही सच्चाई का अनुभव होता है।“
7. “ਨਾਨਕ ਰੰਗੀ ਸੇਵਾ ਰੰਗੀ ਕਾਲੇ ਸੇ ਮੋਹਿ ਉਪਦੇਸ।“
(Nanak Rangi Seva Rangi Kaale Se Mohi Updes)
“नानक, सेवा में रंगी हुई भक्ति, वह स्वयं का मार्गदर्शन है।“
8. “ਜਿਸਨੁ ਰਿਝਾਈਐ ਤਿਸੁ ਨਾਲਿ ਰਹੀਐ।“
(Jisanu Rizaai Taiss Naal Rahiiai)
“जिसे तुझे प्रसन्न करना चाहिए, उसी के साथ रहने का अभ्यास करो।“
9. “ਦੂਜਾ ਕਿਛੁ ਨ ਜਾਨਹੀ ਇਕੁ ਬਾਬਾ ਤੂੰ ਸਾਰਾ ਬੀਚਾਰਹੀ।“
(Dooja Kichh Na Jaanahi Ik Baba Tunn Saara Beecharahi)
“दूसरे किसी की कोई आवश्यकता नहीं, केवल एक ईश्वर में ध्यान लगाओ, और तुम्हारा जीवन सच्चा होगा।“
10. “ਸਭਨਾ ਜੀਆ ਦਾ ਸਾਥੀ ਸਾਰਥੀ ਸੇਵਕਾਂ ਦਾ ਰਖਵਾਲਾ ਹੈ।“
(Sabhna Jeeya Da Saathi Sarthi Sevka Da Rakhwala Hai)
“वह परमात्मा, सभी जीवों का साथी और मार्गदर्शक है, जो सच्चे सेवकों का रक्षक भी है।“
11. “ਚੰਗਾ ਕਰਮ ਕਰੈ ਛਡੈ ਦੁਖ ਸੁਖ ਤੇਜ ਮਾਣੁ“
(Changa Karam Karai Chhaddai Dukh Sukh Tej Maan)
“अच्छे कर्म करो, दुख और सुख के बीच के भेद को छोड़ दो।“
12. “ਕਰਮੁ ਜਾਤੀ ਨਾਹੀ ਨਾਨਕ ਸੇਵਾ ਸੇਵਕ ਨੂੰ ਦਰਿ ਪਾਈਐ।“
(Karam Jati Naahi Nanak Seva Sevak Nu Dar Paaiyai)
“कर्म जाति से नहीं जुड़े होते, नानक! केवल सेवा और समर्पण से दरबार में स्थान मिलता है।“
इन उद्धरणों में गुरु नानक देव जी ने आत्मज्ञान, कर्म, सेवा, और सत्य की महिमा को प्रमुखता से दर्शाया है। उन्होंने हमें सिखाया कि यदि हम सच्चे हृदय से सेवा करें, सच्चाई पर विश्वास रखें और ईश्वर का नाम स्मरण करें, तो हम अपने जीवन को सही दिशा में ले जा सकते हैं।