Panchayat Season 4 Review: रिश्तों, राजनीति और रियलिटी का अनोखा संगम

क्या इस बार भी ‘फुलेरा’ ने दिल जीत लिया?

‘Panchayat’ एक ऐसा शो बन चुका है जो बिना किसी हाइप के भी हर सीज़न में दर्शकों के दिलों में अपनी सादगी और गहराई से उतर जाता है। Season 4 एक बार फिर ‘फुलेरा’ की गलियों में हमें ले जाता है, जहाँ न तो कोई ग्लैमर है, न बड़े-बड़े ट्विस्ट—फिर भी एक गहरा जुड़ाव है।

क्या इस बार भी फुलेरा की कहानी ने हमें मुस्कुराने के साथ-साथ आँखें नम करने पर मजबूर कर दिया? आइए जानते हैं इस रिव्यू में…

Image source: prime video

Panchayat Season 4 की कहानी: जहाँ जड़ों से जुड़ाव है

पिछले सीज़न में जहाँ कहानी विकाश, प्रह्लाद और प्रधान जी की राजनीतिक उलझनों में उलझी थी, वहीं सीज़न 4 में इन सबके बीच इंसानी जज़्बात और रिश्तों की परतें और गहराती हैं।

अभिषेक त्रिपाठी (जितेंद्र कुमार) अब गाँव से थोड़े और जुड़ गए हैं, लेकिन दिल अब भी कहीं ना कहीं शहर में अटका है।

इस सीज़न की खास बात ये है कि अब केवल पंचायत नहीं, बल्कि पूरा गाँव ही एक किरदार की तरह महसूस होता है।

Panchayat Season 4 में क्या खास रहा?

Panchayat Season 4 के किरदारों का प्रदर्शन

क्या यह सीज़न मिस किया जा सकता है?

बिलकुल नहीं!

जो दर्शक असली रिश्तों, सरल जीवन और ग्रामीण भारत की ईमानदार तस्वीर देखना चाहते हैं, उनके लिए Panchayat Season 4 एक बेहतरीन अनुभव है।

यह सीज़न एक बार फिर साबित करता है कि बिना चीख-पुकार और ड्रामा के भी कहानी असरदार हो सकती है।

अन्य सीज़न की तरह ही आप इस पंचायत सीज़न 4 को आप amazon prime में देख सकते हो।

ऐसी और जानकारी के लिए Diverseduniya  पढ़ते रहें।

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